ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती-जुलती है
कहीं भी शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है|
“मुनव्वर राना”
४ नवम्बर २००९ मै शाह्जहांपुर पहुंचा कार की मरम्मत करवाने किन्तु मेरे इरादे और भी थे जिसमें एक था मिठ्ठू लाल जी से मुलाकात करना, अब पूछिये ये मिठ्ठूलाल कौन है ?
ये ७५ वर्ष के बुजुर्ग है जो अपनी रिवाल्वर “Webley & Scott” डालकर प्रत्येक सुबह उस बगीचे में आ जाते है जिसके ठीक सामने एक तालाब है जो मिठ्ठूलाल जी द्वारा ही निर्मित है और इसी जगह कुछ कमरे भी निर्मित है और बगल में एक शिवाला, यानी मिठ्ठूलाल जी महादेव की शरण में भी है !आप कभी राइस मिल और ईट भट्टा मालिक थे, इसी भट्टे से ईट के लिये निकाली गयी मिट्टी से बना गढ्ढा अब तालाब में तब्दील हो गया है, और प्रवासी पक्षी वर्ष के चार महीने के बसेरे के लिये हजारों मील दूर से यात्रा करके मिठ्ठू लाल के इस तालाब को अपना घर बनाते है——“ईट भट्टे का यह गढ्ढा अब तब्दील हो गया है रंग-बिरंगे पक्षियों का स्वर्ग”
यहां रह रहे मिठ्ठूलाल जी के नौकर भी इनके सरंक्षण में अपना योगदान देते है!
देखिये अब आप लोग ही देखिये ये मनुष्य कितना बेवकूफ़ व जालिम हो चुका है वह प्रकृति की हर वस्तु को अपना गुलाम बनाना चह्ता है और खुद उस वस्तु का मलिक चाहे वह सजीव क्यो न हो उसे वस्तु ही लगती है!
इस धरती पर जितना मनुष्य का हक है उतना किसी और जीव का भी फ़िर चाहे वह हिरन हो चिड़िया हो या सांप किन्तु हम सबके मालिक बनना चाह्ते है या किसी न किसी के अधिकार में उस जीव को स्वीकार करना चाहते है तभी तो मिठ्ठूलाल को दरोगा से कहना पड़ा कि ये मेरी चिड़ियां है! तब जा के इस स्वंतंत्र पक्षियों की जान बच सकी !!
खैर मीठूलाल जैसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी होगी समाज़ को, तभी प्रकृति के विनाश को रोका जा सकता है और सरकार को भी ऐसे लोगो को प्रोत्साहन देना होगा ” पक्षी मित्र” जैसे पुरस्कारों से अलंकृत करके ! ताकि अन्य लोग संरक्षण के महत्व को समझ सके!
मीठूलाल जैसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी होगी समाज़ को-सत्य वचन.
मीठूलाल जी को नमन!!
सही में पक्षी मित्र हैं मिट्ठूलाल ! इस शख्सियत से परिचय के लिए आभार !
मिट्ठू लालजी की भावना जन जन तक पहुंचे यही
कामना है
pakshi-prem !
durlabh kintu manikhej
goodddd!!!!
nice
Really. It is great job .I salute you you for this noble work.